जैन समाज में यह बहुत बड़ी ख़ुशी की बात है कि महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी ने दिगम्बर जैनमुनि,राष्ट्रसंत परंपराचार्यश्री 108 प्रज्ञसागर जी महाराज को राष्ट्रपति भवन में
आमंत्रण दिया और धार्मिक,आध्यात्मिक एवं सामाजिक विषयों पर चर्चाऐं की।
श्री प्रज्ञसागर जी ने जैन धर्म में भगवान महावीर स्वामी के मूलभूत सिद्धान्तों पर प्रकाश डाला। साथ ही अपने गुरुदेवश्री विद्यानंद जी का परिचय भी कराया। और बताया कि, आचार्यश्री विद्यानंद जी गुरुदेव ने समाज एवं राष्ट्र को एक नई सोच,एक नई दिशा दी,जिसे सदियों सदियों तक भुलाया नही जा सकेगा।
महामहिम राष्ट्रपति जी ने भगवान महावीर एवं पूज्य आचार्यश्री 108 विद्यानन्द जी पर भावपूर्ण विनयांजलि अर्पित की।
उन्होंने कहा महापुरुषों के कारण ही विश्व में शांति और सुख की अनुभूति की जा सकती है। आचार्य विद्यानंद जी के संदेश व समाज समर्पण का भाव सदा की भूमंडल में जयवंत रहेगा।
इस अवसर पर
परमपूज्य समाधिस्थ आचार्यश्री 108 विद्यानंद गुरुदेव जी की 100वीं जन्म जयंती शुभारम्भ का प्रतीक चिन्ह भेंट किया गया है। यह महोत्सव विद्यानंद पर्व के रूप में वर्षभर मनाया जाएगा।
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Jainism, also known as Jain Dharma, is an Indian religion. Jainism traces its spiritual ideas and history through the succession of twenty-four tirthankaras.