सादर जय जिनेन्द्र!

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देव दर्शन का महत्व | Importance of Dev Darshan

🙏देव दर्शन का महत्व 🙏 ➡️ जिनेन्द्र भगवान् के दर्शन करने के विचार मात्र से दो उपवास का फल मिलता है।➡️ मंदिर जाने के लिए अभिलाषा करने से तीन उपवास का फल मिलता है।➡️ मंदिर जाने का आरंभ करने से चार उपवास का फल मिलता है।➡️ मंदिर जाने लगता है उसे पांच उपवास का फल…

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विक्की पहाड़े जैन को भावभीनी श्रद्धांजलि

🇮🇳 भारत देश के सपूत मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के लाल, नोनिया-कर्बल निवासी जवान – कॉरपोरल विक्की पहाड़े जैन को भावभीनी श्रद्धांजलि 😔 🇮🇳 वायुसेना के काफ़िले पर आतंकी हमले में हुए शहीद❗ 🇮🇳 देश के वीर जवान विक्की पहाड़े जैन अपने पीछे पाँच साल का बेटा पत्नी समेत अपना हरा भरा परिवार को छोड़…

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JAIN SYMBOL | JAINDHARM.IN

जैनधर्म की मौलिक विशेषताएँ

अपनी इन्द्रियों, कषायों और कर्मो को जीतने वाले जिन कहलाते हैं| जिन के उपासक को जैन कहते हैं। जिन के द्वारा कहा गया धर्म जैनधर्म है। जिसके द्वारा यह संसारी आत्मा-परमात्मा बन जाता है, वह धर्म है। अर्थात् सम्यकदर्शन, सम्यकज्ञान और सम्यकचारित्र को धर्म कहा है, क्योंकि रत्नत्रय के माध्यम से ही यह आत्मा- परमात्मा बनती है।

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देवदर्शन विधि

स्नान करके, स्वच्छ वस्त्र (धोती-दुपट्टा अथवा कुर्ता-पायजामा) पहनकर तथा हाथ में धुली हुई अष्ट द्रव्य लेकर, नंगे पैर, नीचे देखकर, जीवों को बचाते हुए, प्रभुदर्शन की तीव्र भावना से मन्दिर जाएं| मन्दिर जी का शिखर दिखने पर नमस्कार करें| मन्दिर के द्वार पर शुद्ध छने जल से दोनों पैर धोने चाहिए|

मन्दिर के दरवाजे में प्रवेश करते ही ॐ जय जय जय, निस्सही निस्सही निस्सही,नमोऽस्तु नमोऽस्तु नमोऽस्तु बोलना चाहिए, फिर मन्दिर जी में लगे घंटे को बजाना चाहिए।

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णमोकार मन्त्र | Namokar Mantra

णमोकार मन्त्र | Namokar Mantra णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आइरियाणं णमो उवज्झायाणं णमो लोए सव्व साहूणं यह पंच नमस्कार मन्त्र, पंच परमेष्ठी मंत्र, अनदिमूलमंत्र, अनदिनिधनमंत्र आदि नामों से भी जाना जाता है। इसकी रचना किसी ने नहीं कि, अनादिकाल से चला आ रहा अनादिनिधन मंत्र है। इसे सर्वप्रथम आचार्य पुष्पदंत महाराज ने षट्खंडागम ग्रंथ…

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