सादर जय जिनेन्द्र!

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आया कहां से, कहां है जाना

आया कहां से, कहां है जाना,

ढूंढ ले ठिकाना चेतन ढूंढ ले ठिकाना ।

इक दिन चेतन गोरा तन यह, मिट्टी में मिल जाएगा ।

कुटुम्ब कबीला पडा रहेगा, कोई बचा ना पायेगा ।

नहीं चलेगा कोई बहाना…॥ ढूंढ ले ठिकाना…।१।

बाहर सुख को खोज रहा है, बनता क्यों दीवाना रे ।

आतम ही सुख खान है प्यारे, इसको भूल ना जाना रे।

सारे सुखों का ये है खजाना…॥ ढूंढ ले ठिकाना… ।२।

जब तक तन में सांस रहेगी, सब तुझको अपनायेंगे ।

जब न रहेंगे प्राण जो तन में, सब तुझसे घबरायेंगे ।

तुझको पडेगा प्यारे है जाना…॥ ढूंढ ले ठिकाना…।३।

दौलत के दीवानों सुन लो, इक दिन ऐसा आयेगा ।

धन दौलत और रूप खजाना, पडा यहीं रह जायेगा ।

कन्धा लगायेगा सारा जमाना…॥ ढूंढ ले ठिकाना…।४।

गुरुचरणों के ध्यान से चेतन, भवसागर तिर जायेगा ।

सम्यग्दर्शन ज्ञान से प्यारे, दुख तेरा मिट जायेगा ।

सारे सुखों का है ये खजाना…॥ ढूंढ ले ठिकाना…।५।

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