सादर जय जिनेन्द्र!

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पार्श्वनाथ स्तुति – तुमसे लागी लगन। ( जैन भजन )

तुम से लागी लगन,ले लो अपनी शरण, पारस प्यारा,मेटो मेटो जी संकट हमारा || निशदिन तुमको जपूँ,पर से नेह तजूँ, जीवन सारा,तेरे चरणों में बीत हमारा ||टेक|| अश्वसेन के राजदुलारे,वामा देवी के सुत प्राण प्यारे||सबसे नेह तोड़ा,जग से मुँह को मोड़ा,संयम धारा ||मेटो मेटो जी संकट हमारा || इंद्र और धरणेन्द्र भी आए,देवी पद्मावती मंगल…

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आलोचना पाठ

वंदौं पाँचों परम गुरु, चौबीसों जिनराज। करूँ शुद्ध आलोचना, शुद्धिकरण के काज॥ १॥ सुनिये जिन अरज हमारी, हम दोष किये अति भारी। तिनकी अब निर्वृत्ति काजा, तुम सरन लही जिनराजा॥ २॥ इक वे ते चउ इन्द्री वा, मनरहित-सहित जे जीवा। तिनकी नहिं करुणा धारी, निरदय ह्वै घात विचारी॥ ३॥ समरंभ समारंभ आरंभ, मन वच तन…

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मोह जाल में फंसे हुए हैं, कर्मो ने आ घेरा…

मोह जाल में फँसे हुये हैं कर्मों ने आ घेरा, कैसे तिरेंगे भव-सागर से, तुम बिन कौन है मेरा। भूल हुई क्या हमसे भगवन क्या है दोष हमारा, लिखा विधाता ने किन घड़ियों ऐसा लेख हमारा।। लेख लिखा था शुभ घड़ियों में, शुभ घड़ियां हैं आई। आत्मज्ञान की ज्योति जगा दो भव से पार उतरता…

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