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VAIRAGYA BHAVNA : SHRI VRAZNAABHI CHAKRAVARTI / वैराग्य भावना : श्री वज्रनाभि चक्रवर्ती

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VAIRAGYA BHAVNA : SHRI VRAZNAABHI CHAKRAVARTI / वैराग्य भावना : श्री वज्रनाभि चक्रवर्ती

(दोहा)

बीज राख फल भोगवे, ज्यों किसान जग-माँहिं |
त्यों चक्री-नृप सुख करे, धर्म विसारे नाहिं ||१||

(जोगीरासा व नरेन्द्र छन्द)

(दोहा)

परिग्रह-पोट उतार सब, लीनों चारित-पंथ |
निज-स्वभाव में थिर भये, वज्रनाभि निरग्रंथ ||

VAIRAGYA BHAVNA : SHRI VRAZNAABHI CHAKRAVARTI / वैराग्य भावना : श्री वज्रनाभि चक्रवर्ती

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