बारह भावना | BARAH BHAWANA
बारह भावना | BARAH BHAWANA राजा राणा छत्रपति, हाथिन के असवार। मरना सबको एक दिन, अपनी-अपनी बार॥ दल बल देवी देवता, मात-पिता परिवार। मरती बिरियाँ जीव को, कोऊ न राखन हार॥ दाम बिना निर्धन दुखी, तृष्णा वश धनवान। कहूँ न सुख संसार में, सब जग देख्यो छान॥ आप अकेला अवतरे, मरै अकेला होय। यो कबहूँ…