
आचार्य श्री 108 ज्ञान सागर जी महाराज – सराको के राम
आचार्य श्री 108 ज्ञान सागर जी महाराज – सराको के राम | GYAN-SAGAR-JI-MAHARAJ
आचार्य श्री 108 ज्ञान सागर जी महाराज – सराको के राम | GYAN-SAGAR-JI-MAHARAJ
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी की आरती विद्यासागर की, गुणआगर की, शुभ मंगल दीप सजाय के।आज उतारूँ आरतिया…..॥1॥ मल्लप्पा श्री, श्रीमती के गर्भ विषैं गुरु आये।ग्राम सदलगा जन्म लिया है, सबजन मंगल गाये॥गुरु जी सब जन मंगल गाये,न रागी की, द्वेषी की, शुभ मंगल दीप सजाय के।आज उतारूँ आरतिया…..॥2॥ गुरुवर पाँच महाव्रत धारी, आतम ब्रह्म…
आचार्य श्री 108 ज्ञान सागर जी महाराज – सराको के राम – JAIN DHARM | ALL ABOUT JAINISM | JAINDHARM.IN Acharya Shri Gyan Sagar Ji Maharaj | सराकोद्धारक श्री 108 ज्ञान सागर जी महाराज (छाणी) जिनका व्यक्तित्व हिमालय से ऊँचा है और सागर से भी गहरा है ऐसे विराट ह्रदय में समाने वाले आचार्य श्री 108…
जिसने रागद्वेष कामादिक जीते सब जग जान लिया। सब जीवों को मोक्षमार्ग का निस्पृह हो उपदेश दिया॥ बुद्ध, वीर, जिन, हरि, हर, ब्रह्मा या उसको स्वाधीन कहो। भक्ति भाव से प्रेरित हो यह चित्त उसी में लीन रहो॥ 1॥ विषयों की आशा नहिं, जिनके साम्य भाव धन रखते हैं। निज पर के हित साधन में जो, निशदिन तत्पर रहते हैं। स्वार्थ त्याग की कठिन तपस्या, बिना खेद जो…
अपनी इन्द्रियों, कषायों और कर्मो को जीतने वाले जिन कहलाते हैं| जिन के उपासक को जैन कहते हैं। जिन के द्वारा कहा गया धर्म जैनधर्म है। जिसके द्वारा यह संसारी आत्मा-परमात्मा बन जाता है, वह धर्म है। अर्थात् सम्यकदर्शन, सम्यकज्ञान और सम्यकचारित्र को धर्म कहा है, क्योंकि रत्नत्रय के माध्यम से ही यह आत्मा- परमात्मा बनती है।
बारह भावना | BARAH BHAWANA राजा राणा छत्रपति, हाथिन के असवार। मरना सबको एक दिन, अपनी-अपनी बार॥ दल बल देवी देवता, मात-पिता परिवार। मरती बिरियाँ जीव को, कोऊ न राखन हार॥ दाम बिना निर्धन दुखी, तृष्णा वश धनवान। कहूँ न सुख संसार में, सब जग देख्यो छान॥ आप अकेला अवतरे, मरै अकेला होय। यो कबहूँ…
आयुर्वेद के अनुसार सूर्य के निकलने की दशा में पेट में पाचन तंत्र उसी प्रकार खुला रहता है जैसे सूर्य के उदय होते ही कमल का फूल खिल जाता है और सूर्य के अस्त होते ही वो पाचन तंत्र बंद हो जाता है। जिसकी कमी से खाने का पाचन ठीक नहीं हो सकता।
शीश नवा अरिहंत को, सिद्धन करूँ प्रणाम।
उपाध्याय आचार्य का ले सुखकारी नाम।।
सर्व साधु और सरस्वती, जिन मंदिर सुखकार।
अहिच्छत्र और पार्श्व को, मन मंदिर में धार।।
पारसनाथ जगत हितकारी, हो स्वामी तुम व्रत के धारी।
सुर नर असुर करें तुम सेवा, तुम ही सब देवन के देवा।।
जैन समाज में यह बहुत बड़ी ख़ुशी की बात है कि महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी ने दिगम्बर जैनमुनि,राष्ट्रसंत परंपराचार्यश्री 108 प्रज्ञसागर जी महाराज को राष्ट्रपति भवन मेंआमंत्रण दिया और धार्मिक,आध्यात्मिक एवं सामाजिक विषयों पर चर्चाऐं की।श्री प्रज्ञसागर जी ने जैन धर्म में भगवान महावीर स्वामी के मूलभूत सिद्धान्तों पर प्रकाश डाला। साथ ही…
अमेरिका की चमक, दमक, 20 लाख का पैकेज नहीं, महावीर का मार्ग रास आया 🦚मोक्षमार्ग भी अजब है अगर मन में गुरु के प्रति विश्वास और मोक्षमार्ग पर चलने का दृढ़ निश्चय आ जाए तो अमेरिका जैसे देश की चमक दमक, लाखों के पैकेज वाली नौकरी, गीत-संगीत सुनने का शौक, लहरों पर तैरने और स्केटिंग…