
राजकुमार श्रेयांस द्वारा दान तीर्थ की प्रवृत्ति: जैन धर्म का महत्वपूर्ण पहलू
भगवान ने निराहार रहकर प्रतिमयोग धारण कर छः माह तक तपस्या करने का जो नियम लिया था वह पूर्ण हुआ। निराहार रहने से न तो भगवान का शरीर कृश हुआ और न उनके तेज में ही अंतर पड़ा। वे चाहते तो बिना आहार के ही आगे भी तपस्या करते और इसका उनके शरीर पर भी…