सादर जय जिनेन्द्र!

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आया कहां से, कहां है जाना

आया कहां से, कहां है जाना, ढूंढ ले ठिकाना चेतन ढूंढ ले ठिकाना । इक दिन चेतन गोरा तन यह, मिट्टी में मिल जाएगा । कुटुम्ब कबीला पडा रहेगा, कोई बचा ना पायेगा । नहीं चलेगा कोई बहाना…॥ ढूंढ ले ठिकाना…।१। बाहर सुख को खोज रहा है, बनता क्यों दीवाना रे । आतम ही सुख खान है प्यारे, इसको भूल…

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Acharya Shri Gyan Sagar Ji Maharaj | सराकोद्धारक श्री 108 ज्ञान सागर जी महाराज (छाणी)

Acharya Shri Gyan Sagar Ji Maharaj | सराकोद्धारक श्री 108 ज्ञान सागर जी महाराज (छाणी)

आचार्य श्री 108 ज्ञान सागर जी महाराज – सराको के राम – JAIN DHARM | ALL ABOUT JAINISM | JAINDHARM.IN Acharya Shri Gyan Sagar Ji Maharaj | सराकोद्धारक श्री 108 ज्ञान सागर जी महाराज (छाणी) जिनका व्यक्तित्व हिमालय से ऊँचा है और सागर से भी गहरा है ऐसे विराट ह्रदय में समाने वाले आचार्य श्री 108…

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